रविवार, 3 जनवरी 2010

बहुभाषिकता - आज की आवश्यकता


आज बहुभाषिकता एक आवश्यकता बन गयी हैl हम कहीं भी जाएँ , कुछ भी काम करें तो यह आवश्यक नहीं की हमारा संपर्क जिस व्यक्ति से हो वह भी उसी भाषा को जानता हो जिसे हम जानते हैं यही कारण है की हमें दूसरी भाषा पर जाने की आवश्यकता पड़ ही जाती है आज नई- नई तकनीकि हमारे सामने आ रही हैl विज्ञान दिनों- दिन तरक्की कर रहा हैl भौगोलिक दूरी कम होने के साथ- साथ सामाजिक गतिशीलता भी बढ़ी है इसलिए आज व्यक्ति एक जगह सीमित रहकर नहीं रहना चाहता वह तरक्की करना चाहता है, आगे बढ़ना चाहता है और इसके लिए उसे अपने सीमित दायरे से निकल बाहर झांकना पड़ता है l
समय धीरे- धीरे बदल रहा है वह ज़माना गया जब लोग सिर्फ एक भाषा तक ही सीमित रहकर अपने अधिकतर काम कर लिया करता थेl आज आए दिन हमारा संपर्क दूसरे व्यक्ति से होता रहता हैl हमारे देश का विद्यार्थी नई तकनीकि सीखने के लिए विदेश जाता है वहा पढ़ता -पढ़ाता है वहाँ की भाषा से भी तब उसका परिचय होता है हम अपने देश में भी एक जगह नहीं रहते चाहे- अनचाहे कभी- कभी हमें दूसरी जगह पर जाना पड़ सकता l इसी तरह चाहे वह शिक्षा का विषय हो या नौकरी का, वहाँ हमारा संपर्क दूसरे आदमी से हो ही जाता हैl तब ऐसे में हमें दूसरी भाषा की ओर जाना ही पड़ता हैl वरना न तो हम अपनी इच्छाओं की पूर्ति ही कर सकते हैं और न ही अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैंl ऐसे में हमारी व्यावहारिक आवश्यकता ऐसी होती है जो हमें व्यावहारिक बना देती है मान लीजिये एक पंजाबी व्यक्ति है वह घर में पंजाबी ,अपने कॉलेज़ में english और दूसरे रोज़मर्रा के लोगों से हिंदी में बात करता है तो इस प्रकार वह आदमी बहुभाषी है और उसकी व्यावहारिक आवश्यकताओं ने उसे बहुभाषिक बना दिया है और इस तरह वह अपनी स्तिथि तथा सन्दर्भ को देखते हुए एक भाषा से दूसरी भाषा की ओर चला जाता है

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