सोमवार, 27 अक्तूबर 2008

सरकारी नोकर और उनका वर्चस्व

आज का दिन कुछ ख़राब रहा पहले तो बस ही देर से आई दूसरा बस ने कही और उतारने की बजाए कही और उतार दिया । लेकिन फिर भी रास्ते में हुई एक बात को देख के मुझे कुछ अजीब लगा , बात ये थी कि कुछ रिक्शा और स्कूटर वाले खड़े होकर अपनी सवारी का इंतज़ार कर रहे थे इतने में एक पुलिस अधिकारी अपने कुछ सिपाहियों के साथ वहा आया और सिपाहियों से कहा '' मार साले को ये क्या तेरा बाप लगता है जो तू इसे इतने प्यार से भगा रहा है '' ये सब बाते सुन के मुझे दुःख हुआ और लगा कि अगर इसके पास सरकारी नोकरी है भी तो क्या इसका मतलब ये है कि वो इसका गलत फायदा उठाए और लोगों को इस तरह से गलियां दे मुझे लगता है का i हमें इस बारे में सोचना चाहिए , क्या आपको नहीं लगता ................................. ???

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

आत्महत्या और युवा

आत्म हत्या आजकल एक फैशन बनता जा रहा है , ऐसे लोग जो अपनी परेशानियों को झेल नही सकते वे बिना कुछ सोंचे -समझे इस और अपने कदम बढ़ा देते हैं । किसी समय में लोगों को इतनी परेशानियाँ झेलनी पड़ती थी पर वे उनसे घबराते नही थे पर आजकल न जाने हमारे युवाओं को क्या होता जा रहा है .......... युवा तो जोशीले और गर्म खून के नाम से जाने जाते हैं परन्तु आज कल हर अख़बार में रोज ये ही देखने और पढने को मिलता है की किसी स्कूल के छात्र ने फ़ैल होने के कारण आत्म हत्या कर ली तो किसी ने किसी के कुछ कहने से बुरा मानने के कारण अपने प्राणों को गवा दिया है ,कही किसी को उसकी प्रेमिका या प्रेमी ने प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया तो कही आर्थिक तंगी के कारण किसी ने अपनी जान देदी । अगर हमारे देश के युवा ही ऐसे करेंगे तो देश के भविष्य का क्या होगा और किसी को भी बना बनाया रास्ता तो नही मिल जाता सबको अपना रास्ता ख़ुद ही बनाना पड़ता है इसलिए हमे उनसेसे डरे बिना उनसे सिख ले कर आगे बढ़ना चाहिए न की प्रेषण होकर अपने अमूल्य जीवन को खतम करना चाहिए ।

सोमवार, 6 अक्तूबर 2008

ऍम फिल रिजल्ट

एम फिल का सारा काम खत्म हो चुका है । प्रभु की कृपा और कुछ अच्छे दोस्तों के सहयोग से मेरा नम्बर भी आ गया है , लेकिन इस पूरी परिक्रिया में बहुत कुछ देखने को मिला । बहुत से बच्चे ऐसे थे जिनका नम्बर नही आया वो सच में बहुत उदास दिखे और उन्हें देख के तो मै भी अपनी खुशी का इज़हार नही कर पाई । सच में तब मुझे ये ही लगा की आप दूसरों को दुखी देख के खुश कैसे रह सकते हैं। चलिए जो कुछ होना था हो चुका अब देखते हैं एम फिल क्या क्या होता है