रविवार, 16 नवंबर 2008
जनता और चुनाव
जैसे जैसे चुनाव आने लगे हैं वैसे वैसे नेताओं के तेवर भी बदलने लगे हैं जहाँ पहले वे जनता पर धयान भी नही देते थे वहीं अब हमारी बेचारी जनता पर उन्हें कुछ जरुरत से ज्यादा प्यार आने लगा है चुनाव नजदीक क्या आते हैं नेताओं के व्यवहार में एक बड़ी तबदीली देखने को मिलती है अचानक से जनता के प्रति प्रेम उभर जाता है , उनकी समस्ये दिखाई देने लगती हैं , और कुछ नही मिलता तो उनके घरो तक पहुच जाते हैं लेकिन शायद वो ये भूल जाते हैं की हम लोग इतने बेवकूफ भी नही हैं जितना की वो हमें समझते हैं इसलिए अब उन्हें या तो सावधान होकर काम करना होगा या हमे फंसाने के लि नै चाले सोचनी पड़ेंगी
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