रविवार, 9 नवंबर 2008

हमऔर हमारी शिक्षा

आज सुबह जब बस में चढी तो बहुत भीड़ थी , बस में पैर रखने के लिए भी जगह नही थी एक लड़की जो मेरे पीछे खड़ी हुई थी उसे भी खड़े होने में कुछ तकलीफ हो रही थी उसे सुविधा देने के लिए मैंने थोड़ा साइड में खड़ा होकर उसे भी खड़े होने की जगह दे दी , लेकिन वो लड़की अपना बैलेंस नही संभाल पा रही थी और मेरे ही ऊपर गिरे जा रही थी तो मैंने उससे कहा की आप थोड़ा बैलेंस बना लो प्लीज , तब उस ने कहा अगर ज्यादा दिक्कत होती है तो अपनी गाडियों में आया करो और पतानी क्या क्या बोलने लगी मैंने उस से कहा की मै आपसे मेंनर्स से बात कर रही हूँ तो क्या आप मुझसे ठीक से बात नही कर सकती और बात में पूरे टाइम मै ये ही सोचती रही की हमारी ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा जब हम किसी से ढंग से बात भी नही कर सकते क्या हम इसीलिए पढ़ते हैं की दूसरो को उल्टा - सीधा जवाब दे

1 टिप्पणी:

makrand ने कहा…

jamana khrab he
humri post dekhen
kuch esa hi likha he